वैश्विक भू राजनीति में कुछ भी अस्थायी नहीं होता है, संबंधों की लहरें उतार चढ़ाव से भरी होती है तो कभी एक दूसरे से छिटकने वाले देश भी साथ आ जाते हैं तो दूसरी तरफ संग रहने वाले मुल्कों के रिश्तों में भी तल्खी नजर आ जाती है। ऐसे ही उतार चढ़ाव के दौर से भारत- इटली के संबंध भी गुजरे हैं। भारत – इटली सम्बन्ध : उज्ज्वल संभावनाओं का बेहतर विकल्प होने के लिए आपसी रिश्तों का होना बेहद आवश्यक है क्योंकि दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंधों का इतिहास करीब सात दशक पुराना है। इस दौरान दोनों देशों के आपसी रिश्ते को कई जटिलताओं का सामना भी करना पड़ा है। लेकिन मौजूदा समय में भारत और और इटली ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नई और मजबूत दोस्ती का उदाहरण पेश किया है। अब ऐसे में सवाल उठता है कि एक लंबे अरसे के बाद कैसे सामान्य हुए भारत इटली संबंध एवं कैसे एक दूसरे के पूरक साबित हो सकते हैंl जो कि भारत – इटली सम्बन्ध : उज्ज्वल संभावनाओं का बेहतर विकल्प बन सकता है l
भारत-इटली संबंधों का इतिहास: राजनयिक संबंधों की स्थापना से तनावपूर्ण दौर तक
आज की चर्चा में हम ऐसे ही सवालों के जवाब तलाशेंगे, लेकिन सबसे पहले जान लेते हैं कि भारत और इटली के संबंधों का इतिहास कैसा रहा है l दक्षिणी और पश्चिमी यूरोप में बसा देश इटली, फ्रांस, स्विट्ज़रलैंड , ऑस्ट्रिया और स्लोवानिया के साथ अपनी सीमाएं साझा करता है। वहीं भारत की बात करें तो एशिया महाद्वीप ने बसा यह देश अपने भौगोलिक और आर्थिक स्थिति के कारण वैश्विक पटल पर केंद्र बिन्दु बन कर उभरा है। विश्व के अलग अलग कोने में बसे इन देशों के बीच साल 1947 में राजनीतिक संबंध स्थापित हुए, जिसे 2023 में सामरिक साझेदारी तक बढ़ाया गया, लेकिन इस दरमियान दोनों देशों के संबंधों में कई तनावपूर्ण दौर आए जिसमे Agusta Westland Scam और Enrica Lexie Case जैसे मामले शामिल है।
भारत-इटली संबंधों में नए युग की शुरुआत: जॉर्जिया मेलोनी की प्रधानमंत्री के रूप में भूमिका
हालांकि तनावपूर्ण संबंधों के बीच जब इटली में जॉर्जिया मेलोनी ने प्रधानमंत्री पदभार सँभाला तो उसके बाद भारत संग इटली के संबंधों में तेजी देखी गई। दूसरे शब्दों में कहें तो दोनों देशों के संबंधों की गतिशीलता में महत्वपूर्ण बदलावों की शुरुआत हुई। इसी बीच मार्च 2023 में जॉर्जिया मेलोनी भारत दौरे पर आई और उनकी इस यात्रा में द्विपक्षीय संबंधों को रणनीति साझेदारी की स्थिति तक बढ़ाने में अहम भूमिका निभाई। इस दौरान दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों के बीच कई महत्वपूर्ण समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए।
वैश्विक मंच पर भारत-इटली की साझेदारी: G20 शिखर सम्मेलन से G7 समूह की अध्यक्षता तक
इसके बाद रिश्तों को सुदृढ़ करने की दिशा में दोनों देशों ने नई दिल्ली में आयोजित जी G-20 शिखर सम्मेलन के दौरान द्विपक्षीय बैठक की, जिसमें भारत की रणनीति साझेदारी के विभिन्न क्षेत्रों में प्रगति का जायजा लिया गया और रक्षा तथा उभरती प्रौद्योगिकी जैसे क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने पर सहमति जताई गई। वहीं साल 2024 में G- 7 समूह की अध्यक्षता इटली के हाथों आई और इस मौके पर प्रधानमंत्री मेलोनी ने G-7 समूह की बैठक में भारत को भी आमंत्रित किया तथा इसके साथ ही कई अहम क्षेत्रों में दोनों देशों के बीच समझौते किए गए।
रक्षा और प्रौद्योगिकी में सहयोग: लियोनार्डो पर प्रतिबंध हटाना और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में बढ़ती रुचि
ज़ाहिर है कि हालिया वर्षों में दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग में उन्नत रणनीतिक् साझेदारी देखी गई। गौरतलब है कि नवंबर 2021 में भारत के रक्षा मंत्रालय ने इतालवी रक्षा कंपनी लियोनार्डो पर एक दशक पुराना प्रतिबंध हटाया जो उनके रक्षा सहयोग को पुर्नजीवित करने की दिशा में एक अहम कदम शामिल। वही इस प्रतिबंध के हटते ही भारत की स्कार्पियो श्रेणी की पारम्परिक पनडुब्बीयों के लिए हैवीवेट टारपीडो प्रदान करने में लियनार्डो की भागीदारी उभर कर सामने आयी l चुकी हिंद प्रशांत क्षेत्र में इटली की रुचि लगातार बढ़ रही है इसलिए इस साझेदारी का वैश्विक भू राजनीतिक गतिशीलता के साथ साथ यूरोप और फ्रांस अटलांटिक हितों पर भी महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ सकता है। वहीं दोनों के बीच गहरे होते संबंधों का आधार व्यापार है l
व्यापारिक संबंध और आर्थिक सहयोग: द्विपक्षीय व्यापार का वर्तमान परिदृश्य
क्योंकि मौजूदा समय में भारत एक बड़ा बाजार है और इतालवी कंपनियों को तलाश है एक बड़े बाज़ार की । आंकड़ों की मानें तो वर्ष 2022 23 में दोनों देशों के बीच 14.25 बिलियन अमेरिकी डॉलर का द्विपक्षीय व्यापार किया गया। वहीं इटली यूरोपीय संघ में भारत के शीर्ष पांच व्यापारिक साझेदारों में से एक है। गौरतलब है कि मौजूदा समय में भारत का रक्षा क्षेत्र रूस पर अधिक निर्भर है, ऐसे में इटली जैसे यूरोपीय भागीदारों का भारतीय रक्षा उद्योग में शामिल होना कम से कम लंबे समय में रूस पर भारत की निर्भरता को कम करने के लिए एक उपकरण के रूप में काम कर सकता है।
ऊर्जा और अवसंरचना में सहयोग: अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन से IMEC परियोजना तक
इसके अलावा इटली भारत के नेतृत्व वाले अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन, आपदारोधी अवसंरचना गठबंधन, वैश्विक जैव ईंधन गठबंधन और IMEC में शामिल हुआ, जो दोनों देशों के बीच गहरें होते संबंधों का परिचायक है वही IMEC यानी मध्य पूर्व यूरोप आर्थिक गलियारे की बात करें तो यहाँ एक कनेक्टिविटी परियोजना है जिसका उद्देश्य भारत , अरब प्रायद्वीप, भूमध्य सागरीय क्षेत्र और यूरोप के बीच व्यापार को बढ़ाने के लिए बंदरगाहों रेल, सड़कों, समुद्री लाइनों और पाइपलाइनों का निर्बाध बुनियादी ढांचा विकसित करना है। IMEC का उद्देश्य से भारत और अरब की खाड़ी और पूर्वी भूमध्य सागर तथा यूरोप के बीच मौजूदा व्यापार मार्गों का लाभ उठाना और खाड़ी और भूमध्य सागरीय क्षेत्रों को जोड़ने के लिए बुनियादी ढांचे का निर्माण करना है l
समग्र साझेदारी: भारत-इटली के बदलते रिश्तों में सुरक्षा, रणनीति, और विकास की संभावना
मौजूदा समय में हालातों को देखते हुवे यह कहना गलत नहीं होगा की दोनों देशों के बीच बदलते घटनाक्रम रक्षा सुरक्षा और रणनीतिक आयामों को शामिल करने वाली बहुआयामी साझेदारी बनाने के लिए भारत और इटली की अटूट प्रतिबद्धता को रेखांकित करते है l भारत इटली साझेदारी आपसी विकास के अपार संभावनाओं और वैश्विक मंच पर सार्थक प्रभाव के साथ बढ़ते और गतिशील संबंधों का प्रतिनिधित्व करती है। यह भारतीय रक्षा क्षेत्र और भारत इटली संबंधों के व्यापक परिदृश्य में अवसरों और उज्ज्वल संभावनाओं के लिए बेहतर विकल्प है।
1 thought on “भारत – इटली सम्बन्ध : उज्ज्वल संभावनाओं का बेहतर विकल्प”